International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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भगवती प्रसाद वाजपेयी के उपन्यासों में चित्रित जीवन की अभिव्यकित
1 Author(s): SUSHMA YADAV
Vol - 4, Issue- 2 , Page(s) : 355 - 360 (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
भगवती प्रसाद वाजपेयी जी के जीवन की अभिव्यकित मूलक बाते उनके साहित्य में व्यापक रूप से रेखांकित है। मानव जीवन की सोददेश्यता जीवन मूल्यों मानको को केन्द्र में रखकर निर्धारित है। उनके उपन्यासों में ''मैं सोचता हूं - जीवन में नैतिकता बहुत बड़ी वस्तु है, मानवता की नव संरचना में नैतिकता की बड़ी भूमिका है। जीवन की अभिव्यकित के तहत वाजपेयी जी ने उन सभी वस्तुओं वार्ता को रेखाकिंत किया है जो वस्तुएं समाज सापेक्ष व्यापक मानवता के पक्ष में है। उन्होनें अपने उपन्यासों में जहां एक ओर प्रेम सौन्दर्य की शाश्वतता पर खूब लिखा है हीं, दूसरी ओर प्यापक मानवता का चिंतनीय है। जीवन के प्रति सहज, स्वाभाविक सकारात्मक सरोकारात्मकता है। ''सहानुभूति का अर्थ है परस्पर अनुभूति का अनुभव।