राजनीतिक दल बनाम सूचना का अधिकार
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Author(s):
RAVINDER
Vol - 4, Issue- 3 ,
Page(s) : 86 - 94
(2013 )
DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
Abstract
राजनीतिक दल भारतीय जनतंत्र के अनिवार्य अंग हैं और सूचना का अधिकार समकालीन समय में भारत की जनता का अस्त्र है। राजनीतिक दलों और पारदर्शिता के अधिकार कानून का रिश्ता बहुत विशेष है। कुछ वर्ष पहले राजनीतिक दलों ने सूचना के अधिकार अधिनियम को संसद के दोनों सदनों से पारित करवाकर खुलेपन के नए दौर की शुरुआत करते हुए यह अधिकार जनता को गोपनीयता के विरुद्ध हथियार के रूप में प्रदान किया था। उस दौरान शायद ही किसी राजनीतिक दल ने यह सोचा होगा की एक दिन यही सूचना का अधिकार उनको भी सूचना देने के लिए बाध्य करेगा अर्थात उनके ऊपर भी लागू होगा। कुछ समय पहले केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा राजनीतिक दलों को सूचना अधिकार के अधीन लाने वाला आदेश राजनीतिक दलों के लिए परेशानी का सबब बनकर उभरा है। इस महत्वपूर्ण फैसले के बाद सभी प्रमुख राजनीतिक दलों में अजीब तरह की बेचैनी भी है और इस आदेश को निरस्त करवाने की स्वार्थपूर्ण तत्परता भी। शायद यही वजह है की लगभग हर अहम् विषय पर एक.दूसरे का खुलकर विरोध करने वाले मुख्य राजनीतिक दल एक सुर में बोल रहे हैं। इस प्रकार केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश के फलस्वरूप उपजे हालात में प्रमुख राजनीतिक दल और सूचना का अधिकार अधिनियम एक.दूसरे के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं
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- दैनिक जागरण, जागरण प्रकाशन लिण् पानीपत, 6 जून, 2013, पृष्ठ 8
- दैनिक जागरण, जागरण प्रकाशन लिण् पानीपत, 20 जून, 2013, पृष्ठ 8
- दैनिक जागरण, जागरण प्रकाशन लिण् पानीपत, 18 अगस्त, 2013, पृष्ठ 7
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