( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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अमरकांत के उपन्यास साहित्य में सामाजिक यथार्थ

    2 Author(s):  MADHU MEENA , DR. KALPANA LAL

Vol -  9, Issue- 4 ,         Page(s) : 307 - 309  (2018 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

पूर्वी उत्तरप्रदेश का शहर बलिया। इस जिले ने हिंदी समाज को परशुराम चतुर्वेदी और हजारी प्रसाद जैसी विभूतियां दी। यहीं 1857 के विद्रोह के नायक मंगल पाण्डे का जन्म हुआ। 1942 के आंदोलन में चितू पाण्डे के नेतृत्व में बलिया की क्रांतिकारी भूमिका रही। ऐसे ही महान शहर में अमरकांत का जन्म बलिया के भगमलपुर गांव में सीताराम वर्मा और अनंती देवी के घर 1 जुलाई 1925 को हुआ। ”पत्रकारिता से अपने कैरियर की शुरूआत करने वाले अमरकांत की लेखनीय संवेदना स्वाधीनता संग्राम के अनुभव से प्रौढ़ हुई थी। आगरा से प्रकाशित ‘सैनिक’ में पत्रकारिता के दौरान ही उनकी भेट रामविलास शर्मा से हुई। प्रलेस की गतिविधियों ने उनके लेखकीय सरोकारों को सुस्पष्ट दिशा और तीक्ष्णता प्रदान की। प्रलेस की गोष्ठी में ही उन्होंने अपनी पहली रचना इंटरव्यू सुनाई।“ उनकी संवेदना ‘नई कहानी’ आंदोलन से जुड़ी हुई है। उनकी कहानियाँ और उपन्यास मध्यववर्गीय जीवन के संघर्षों और पीड़ा का प्रामाणिक आख्यान है। ”अमरकांत की रचनाशीलता की उत्तरजीविका इसी तथ्य से स्वयंसिद्ध है कि उनका महत्त्व क्रमशः प्रमाणित और स्थापित हुआ। इसकी परिणति अन्ततः उनको ‘इन्हीं हथियारों से’ के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार की प्राप्ति के रूप में हुई।

1. हिंदी के गोर्की थे अमरकांत (आलेख) से, डाॅ. ऋषिकेश राय, पृ.सं. 117-118, हिंन्दी पत्रिका, छपते-छपते दीपावली विशेषांक-2014
2. हिंदी के गोर्की थे अमरकांत (आलेख) से, डाॅ. ऋषिकेश राय, पृ.सं. 117-118, हिंन्दी पत्रिका, छपते-छपते दीपावली विशेषांक-2014
3. अमृत लाल नागर की कथा दृष्टि के समाज शास्त्रीय आयाम, डाॅ. सरोज सिंह, पृ.सं.-2, राका प्रकाशन, प्रथम संस्करण-2007, इलाहाबाद-2
4. यथार्थवाद, शिव कुमार मिश्र, पृ.सं. - 67
5. हिंदी उपन्यासों में कथा-शिल्प का विकास, डाॅ. प्रताप नारायण टंडन, पृ.सं. 55, हिंदी साहित्य भंडार, लखनऊ, पृ.सं. 1956
6. अमृत लाल नागर की कथा दृष्टि के समाजशास्त्रीय आयाम, डाॅ. सरोज सिंह, पृ.सं. 12-13
7. यथार्थबोध और नयी कविता, डाॅ. कंचना सक्सेना, पृ. 81-82

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