1. हिंदी के गोर्की थे अमरकांत (आलेख) से, डाॅ. ऋषिकेश राय, पृ.सं. 117-118, हिंन्दी पत्रिका, छपते-छपते दीपावली विशेषांक-2014
2. हिंदी के गोर्की थे अमरकांत (आलेख) से, डाॅ. ऋषिकेश राय, पृ.सं. 117-118, हिंन्दी पत्रिका, छपते-छपते दीपावली विशेषांक-2014
3. अमृत लाल नागर की कथा दृष्टि के समाज शास्त्रीय आयाम, डाॅ. सरोज सिंह, पृ.सं.-2, राका प्रकाशन, प्रथम संस्करण-2007, इलाहाबाद-2
4. यथार्थवाद, शिव कुमार मिश्र, पृ.सं. - 67
5. हिंदी उपन्यासों में कथा-शिल्प का विकास, डाॅ. प्रताप नारायण टंडन, पृ.सं. 55, हिंदी साहित्य भंडार, लखनऊ, पृ.सं. 1956
6. अमृत लाल नागर की कथा दृष्टि के समाजशास्त्रीय आयाम, डाॅ. सरोज सिंह, पृ.सं. 12-13
7. यथार्थबोध और नयी कविता, डाॅ. कंचना सक्सेना, पृ. 81-82