1. सं. रमेश उपाध्याय-सामाजिक न्याय की अवधरणा, सं. 2007- पृ.सं. 27
2. सं. अमित कुमार प्रधन -स्त्राी विमर्श और भाषा, पृ.सं. 111-112
3. अरविंद जैन- स्त्राी: मुक्ति का सपना, वाणी- सं. 2006, पृ.सं. 452
4. सं. सुभाष पंत- शब्दयोग, सं. 2009, पृ.सं. 15
5. सं. राम जी राय-जनमत, पृ.सं. 58
6. डाॅ॰ शर्मिला सक्सेना-शोध् श्री, आगरा- सं. मार्च 2009, पृ.सं. 15
7. राष्ट्रीय सहारा-हस्तक्षेप -9 जुलाई 2011, पृ.सं. 4
8. राजकिशोर: स्त्राी पुरफष कुछ पुर्नविचार, वाणी- सं. 2000, पृ.सं. 54
9. मेरी वोल्सनक्राप्ट -स्त्राी अध्किारों का औचित्य साध्न, राजकमल- सं. 2003, पृ.सं. 16
10. रेखा कस्तवार-स्त्राी चिंतन की चुनौतियाँ, राजकमल-सं. 2006, पृ.सं. 152
11. परिषद पत्रिका- बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना- 2003-04, पृ.सं. 131
12. सीमोन द बुआ- स्त्राी उपेक्षिता, सं. 2004, पृ.सं. 2
13. रेखा कस्तवार - स्त्राी चिंन्तन की चुनौतियाँ, राजकमल-सं. 2006, पृ.सं. 161
14. नीरा देसाई- भारतीय समाज में महिलाएँ, नेशनल बुक ट्रस्ट - सं. 2003, पृ.सं. 1