International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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दतिया जिला में कृषिगत समस्याएं एवं कृषि नियोजन
2 Author(s): DR. SHABANA BANO , DR. BALWANT RAJ BHADAWAR
Vol - 4, Issue- 3 , Page(s) : 269 - 277 (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
महात्मा गांधी के अनुसार भारत ग्रामों का देश है । भारत के ग्रामों में मुख्य व्यवसाय कृषि है। कृषि राष्ट्रीय उत्पादन का 40 प्रतिशत भाग प्रदान करती है एवं इसमें देश की 60 प्रतिशत कार्यकारी जनसंख्या लगी है। इससे देश का 35 प्रतिशत निर्यात निर्मित होता है। साथ ही कृषि से ही अकृषि क्षेत्रों के विभिन्न सामानों की आपूर्ति होती है। मत्स्यपाल, दुग्ध-व्यवसाय आदि कार्य भी समिमलित व संलग्न है। अनेक समस्याएं कृषि उत्पादन और कृषि विकास से जुडी हुर्इ हैं। बहुचर्चित हरित क्रांति का प्रभाव घटता जा रहा है । न केवल इसके अन्तर्गत प्रति हेक्टेयर उत्पादन घट रहा है, कृषि निवेशों का मूल्य, लागत बढ़ रही है वरन घटते जैव विविधता से इससे पर्यावरण अवनमन का संकट गहराता जा रहा है। अन्तर्राष्ट्रीय धान शोध संस्थान (प्त्त्प्) से प्रकाशित एक लेख के अनुसार धान की वे प्रजापतियाँ जो 1966 में प्रति हेक्टेयर 10 टन उत्पादन देती थीं आज प्रति हेक्टेयर 7 टन से भी कम उत्पादन दे रहीं हैं। कृषि विकास से जुड़ी इन समस्याओं के निराकरण तथा उत्पादन की मात्रा को बढ़ाये रखने के लिए कृषि वैज्ञानिकों की नयी रूझान जैवप्रौधौगिकी की शोधों की ओर है।