International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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कन्नौजी पूजाव्रत-त्यौहार से सम्बधिंत गीत
1 Author(s): DR. SANJAY KUMAR PANDEY
Vol - 4, Issue- 3 , Page(s) : 294 - 299 (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
भारतीय संस्कृति धर्मप्रधान है। सदैव से धर्म भारतीय संस्कृति का प्राण रहा है। धर्म शब्द 'धृ धातु से बना है। जिसका अर्थ है धारण करना। जो समस्त बृह्रााण्ड को धारण करे वही धर्म है। धर्म की मीमांसा करते हुए महाभारतकार का मानना है कि जो धारण करने की योग्यता रखता है, वही धर्म है। धर्म प्रजा को धारण करता है- धारणाद धनामत्याहुधर्मेण विधृता प्रजा :। य: स्याद धारण संयुक्त: स धर्म इति निश्चय :।।1