International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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ब्रिटिश भारत में व्यापारिक मार्गों का विकास
1 Author(s): PAWAN KUMAR
Vol - 6, Issue- 6 , Page(s) : 420 - 423 (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
ब्रिटिश भारत में अंग्रेजों ने पारम्परिक संस्कृत और अरबी-फारसी ज्ञान के स्थान पर पाश्चात्य समसामयिक ज्ञान-विज्ञान और तकनिकी का प्रवेश कराया। हालांकि ये सभी बदलाव औपनिवेशिक शक्ति के आर्थिक उद्देश्यों की पूर्त्तिं के लिए किये गये थे। ब्रिटिशकाल में हुए सभी तरह के विकास का प्रमुख उद्देश्य सरकार की जरुरतों को पूरा करना था। यदि उससे देश को कोई लाभ मिला तो अनजाने-अनचाहे ही मिल गया त्र्रिकोणमिति, रथलाकृत्ति, जलस्थिति और भूगर्मीय सर्वेक्षण का उद्देश्य मुख्यतः सैनिक, प्रशासनिक और आर्थिक नियंत्रणें को मजबूत करना था। इसके अलावा जानबूझकर ऐसी नीति बनाई गई कि भातरीयों को जिम्मेदार पदों से दूर रखा जाए और उनके एवं यूरोपियों के वेतनमानों में भी भारी अंतर रखा जाए। अंग्रेजी शासन में उच्च पदों से भारतीयों को बाहर रखा गया और इस तरह के सरकारी वैधानिक संस्थानों और उनसे संबंधित महत्वपूर्ण निर्णयों, प्रक्रियाओं से भी वंचित रहे। इनके बावजूद विज्ञान एवं तकनिकी यातायात एवं संचार साधनों की एक प्रभावी अवस्थापना वजूद में आई।